स्टॉक बाजार के महत्वपूर्ण पद (Important Terms of Stock Market)

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स्टॉक बाजार के महत्वपूर्ण पद (Important Terms of Stock Market)

 

स्क्रिप्ट शेयर -Scrip Share

यह वे शेयर हैं जो कंपनी द्वारा अपने पुराने शेयरधारकों को मुफ्त में उपलब्ध कराए जाते हैं इसे बोनस शेयर भी कहते हैं!

 स्वेट शेयर-Sweat share

कंपनी द्वारा आपने कर्मी को को बिना किसी शुल्क के शेर उपलब्ध कराना व्यवहार में या उच्च स्तरीय कर्मी को को दिया जाता है

रोलिंग सेटलमेंट -Rolling Settlement

भारतीय स्टॉक बाजार की स्टॉक की खरीद बिक्री के निपटारा केक व्यवस्था है जिसके अंतर्गत कारोबार का निपटारा महत्तम 5 दिनों के अंदर अनिवार्य बनाया गया है आज सभी शेयरों का कारोबार निपटारा 3 दिन के अंदर हो जाना प्रावधान है

बदला -Badla

जब किसी स्टॉक कारोबार का फिल्म बन की मांग स्टॉक के खरीदार द्वारा की जाती है तो उसे बदला कहते हैं पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में इसे Cantango को कहा जाता है

औंधा बदला

जब किसी स्टॉक कारोबार के विलंब अन की मांग स्टॉक विक्रेता के द्वारा की जाए तो वहां औंधा बदला की स्थिति है इसे प्रतिवर्ती बदला भी कहा जाता है!

वायदा -Futures

स्टॉक के कारोबार में प्रावधान  व्यवस्था है जिसमें शेयर के भविष्य के किसी मुल्ले पर बोली लगाई जाती है तथा पहले से तय की गई भविष्य कि किसी तिथि को कारोबार का निपटारा संपन्न होता है

न्यासी -Depositories

सन 1996 में प्रारंभ की गई या एक व्यवस्था है जिसके अंतर्गत स्टॉक्स के प्रमाण पत्रों को कागज रहित रूप से जमा रखने की व्यवस्था की गई जिस कारण इसे डीमेट भी कहते हैं भारत में डिपॉजिटरी अधिनियम 1996 के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र की दो कंपनियां कार्यरत है जो शेयरों को डीमेट एवं में जमा करता के रूप में अपने पास जमा करते हैं!

  1. नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड -NSDL
  2. सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड -CDSL

Spread

शेयर के क्रय और विक्रय मूल्य के बीच के अंतर को स्प्रेड कहा जाता है शेर की तरलता जितनी अधिक होती है उसका स्प्रेड उतना ही कम होता है और इसकी भी प्रीत करे से इसे जॉबर् के मार्जिन या हेयर कट के रूप में भी जाना जाता है

बाजार के बाहर सौदा-Kerb Dealing

स्टॉक एक्सचेंज के बाहर स्टॉक का जो लेनदेन होता है वह अधिकारिक नहीं होता है और सामान्य ट्रेडिंग घंटों के बाद ही होता है

एन एस एस सी सी -NSCC

नेशनल सिक्योरिटीज क्लीयरिंग कॉरपोरेशन की स्थापना वर्ष 1996 में एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के द्वारा की गई या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में होने वाले सभी कारोबार में दोनों पक्ष के जोखिम का वाहन करता है या यह स्टॉक क्रेता और विक्रेता के बीच एक कड़ी का काम करता है जो कारोबार के निपटारे में परिवर्तित होने की गारंटी देता है

आसहोपकारीकरण-Demutualisation

इस प्रक्रिया की शुरुआत से भी द्वारा 2002 में की गई जिसके अंतर्गत स्टॉक एक्सचेंज में स्वामित्व प्रबंध एवं दलालों के बीच संबंध विच्छेद करने का प्रावधान है इसके अनुसार किसी स्टॉक एक्सचेंज के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में कोई भी दलाल शामिल नहीं किया जा सकता वर्तमान समय में भारत के सभी स्टॉक एक्सचेंज में यह प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है

अधिकृत पूंजी -Authorised Capital

वह ऊपरी सीमा जिस तक किसी कंपनी द्वारा शेयर जारी किए जा सकते हैं अधिकृत पूंजी कहलाते हैं इसे सामान्य पूंजी भी कहा जाता है कंपनी अधिनियम के तहत इस पूंजी को संगठन ज्ञापन तथा संगठन अनुच्छेद में नियत किया जाता है!

देय पूंजी -Paid Up Capital

अधिकृत पूंजी का वह भाग है जो किसी कंपनी द्वारा शेयर जारी करके प्राप्त किया जाता है उसे देय पूंजी कहते हैं ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी कंपनी द्वारा अपनी शक्ल अधिकृत पूंजी को शेयर बेचकर फंडरेज किया जाता है यह आवश्यक नहीं है

पूर्व कृत पूंजी -Subscribed Capital

शेयरधारकों द्वारा वास्तव में भुगतान की गई या अंशदान हेतु उनके द्वारा वायदा की धनराशि है

निर्गमित पूंजी -Issued Capital

अधिकतम फौजी का वह मात्रा जिसे किसी कंपनी द्वारा शेयर की बिक्री से प्राप्त करने की घोषणा की जाती है उसे अभी तक निर्गमित पूंजी कहते हैं इसकी ऊपरी सीमा संबंधित कंपनी के अधिकृत पूंजी होते हैं

ग्रीन शू ऑप्शन -Greenshoe Option

यह एक प्रावधान है जिसके तहत एक कंपनी पहली बार शेयर जारी करती है उसे कुछ अतिरिक्त शेयर आमतौर पर 15% जनता को बेचने की अनुमति दी जाती है जिसे ओवर एलॉटमेंट प्रावधान भी कहा जाता है इसका नाम प्रथम कंपनी जिसे इस प्रकार के विकल्प की अनुमति दी गई थी उसी के नाम पर इसका नाम पड़ा है

पेनी स्टॉक -Penny Stock

ऐसे शेयर है जिसकी कीमत स्टॉक एक्सचेंज में अपेक्षाकृत लंबे समय तक काफी कम रहता है सट्टेबाज काफी बड़े लाभ के लिए इसकी जमाखोरी आरंभ कर सकते हैं जैसा कि भारत में 2006 के मध्य में देखा गया था क्योंकि ऐसे स्टॉक की जमाखोरी होती है अंततः उनके बाजार मूल्य में वृद्धि होती है सट्टेबाज इन शेयरों का उचित कीमत पर विक्रय कर मुनाफा अर्जित करते हैं और जो इन शेयरों का क्रय करते हैं उन्हें भारी नुकसान होता है क्योंकि इन स्टॉक के मूल्य जानबूझकर हेरा फेरी के कारण होती है!

ई एस ओ पी -ESOP

कर्मचारी स्टाफ स्वामित्व योजना विदेशी कंपनियों को अपने शेयर विदेश में अपने कर्मचारियों को अपना शेयर प्रदान करने में सक्षम बनाता है भारत में इसकी अनुमति 2005 में शर्त के साथ दी गई थी कि भारतीय कंपनियों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की हिस्सेदारी कम से कम 51% हो पूर्व में आरबीआई से अनुमति प्राप्त करने की जरूरत होती थी अब नहीं

एसबीटी -SBT

स्क्रीन आधारित कारोबार इलेक्ट्रॉनिक माध्यम कंप्यूटर मॉनिटर इंटरनेट इत्यादि पर आधारित स्टॉक का कारोबार है इस प्रकार का प्रथम व्यापार न्यूयॉर्क में बोर्ड ब्रोकर केंटर phitrjerekder द्वारा 1972 में आरंभ किया गया था भारत में इसका आरंभ ओटीसीईआई में वर्ष 1989 में आरंभ हुआ इस प्रकार का कारोबार सभी एक्सचेंजर में होता है

OFCD

रिन पत्र प्रतिभूति बाजार में धन एकत्रित करने के लिए सूचीबद्ध फर्मों द्वारा जारी किए जाते हैं रिन पत्र कई प्रकार के होते हैं जैसे मोच मोच और अपरिवर्तनीय और पूर्णत परिवर्तनीय

Derivatives

यह एक ऐसा उत्पाद है जिसका मूल्य क्या उससे ज्यादा मूल्य चलो जिसके आधार कहा जाता है से संविदा के तरीके से प्राप्त किया जाता है निहित संपत्ति इक्विटी विदेशी मुद्रा वस्तु या कोई अन्य परिसंपत्ति हो सकते हैं!

भारतीय संदर्भ में प्रतिभूति संविदा अधिनियम 1956 निम्न रूप से परिभाषित करता है जिसमें
  • कर्जा प्रपत्र शेयर  सुरक्षित या असुरक्षित जोखिम प्रपत्र या संविदा के लिए भिन्नता या प्रतिभूति के किसी अन्य रूप से प्राप्त प्रतिभूति
  • एक संविदा जो निहित प्रतिभूति के मूल्य मूल्य के सूचकांक से अपना मूल्य प्राप्त करता है

Derivatives प्रतिभूति संविदा अधिनियम के तहत प्रतिभूति है और इस प्रकार डेरिवेटिव्स में कारोबार इस अधिनियम के विनियामक ढांचे द्वारा शासित होता है और इसे स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार करने की अनुमति होती है!

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