भारत में कॉरपोरेट बॉन्ड (Corporate Bond in India)
अत्याधुनिक के वित्तीय और संरचना के साथ युग्मित आर्थिक उत्साह सिलता ने भारत के इक्विटी बाजारों को तीव्र वृद्धि में योगदान दिया है बाजार लक्षणों एवं गहनता के अर्थ में भारतीय किटी बाजार का स्थान विश्व में सर्वोत्तम बाजारों में आता है उसके समानांतर पिछले वर्षों में सरकारी प्रतिभूति बाजार भी विकास एवं सरकार की बढ़ती हुई उधार अपेक्षाओं को देखते हुए विकास हुआ है इसके विपरीत बाजार प्रतियोगिता और संरचना दोनों के संदर्भ में कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार पिछड़ गया है गैर बैंक वित्तीय कंपनियां मुख्य निर्माता करता एवं कंपनियों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से बहुत कम राशियों जुटाई जाती है आर्थिक समीक्षा 2010 से 11 के आधार पर इनके अनेक कारण है
- बैंकों का कर्जा का प्रबलता
- एफआईआई की प्रतिभागीता सीमित है निवेश विश्वास की कमी के कारण पेंशन एवं बीमा कंपनियों तथा परिवार सीमित भागीदारी हैं
- सरकारी बॉन्डों द्वारा निष्कासित किया जाना
पाटिल समिति की सिफारिश के हैं मध्यस्थों के साथ कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार धीरे-धीरे विकसित हो रहा है दीर्घावधि अब संरचना परियोजनाओं के लिए घटते बैंक्विट के साथ विशेषकर बैंकिंग प्रणाली द्वारा शाम माना की जा रही परिसंपत्ति समस्याओं के आलोक में एक मजबूत और गतिशील कॉर्बेट बॉन्ड बाजार के और विकास की आवश्यकता पर बल देना आवश्यक नहीं है
वर्ष 2017 तक आरबीआई भारत में कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार को मजबूत करने के लिए कई कदम उठा चुका था इसने कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में निवेशकों की भागीदारी और बाजार में तरलता बढ़ाने के लिए खान समिति की बहुत सी सिफारिश को स्वीकार कर लिया था!