भारतीय मुद्रा बाजार (Indian Money Market) क्या है

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भारतीय मुद्रा बाजार (Indian Money Market) क्या है

मुद्रा बाजार किसी अर्थव्यवस्था का अल्पवधिक वित्तीय बाजार होता है! इस बाजार में मुद्रा का विनिमय व्यक्तियों यह समूह के बीच होता है जो याद तो अल्प मुद्रा वाले हो सकते हैं! इसमें कटौती दर के आधार पर किया जाता है जो बाजार द्वारा निर्धारित किए जाते हैं और दिन प्रतिदिन के व्यापार में नगदी उपलब्धता व मांग द्वारा निर्देशित होते हैं वर्तमान छूट की दर उस समय की नीतिगत ब्याज दर जो भारतीय रिजर्व बैंक तय करती है उसके द्वारा निर्धारित होती है बाजार में उधार की प्रक्रिया को व्यापारियों का समर्थन मिल भी सकता है या नहीं भी मिल सकता है

मुद्रा बाजार में वित्तीय संपदा जिसको आसानी से मुद्रा में परिवर्तित किया जा सकता है और जिसमें कम से कम लेनदेन की लागत लगती है का व्यापार हो सकता है पक्षों के बीच अल्प अवधि के लिए लेनदेन की प्रक्रिया को मुद्रा बाजार के रूप में परिभाषित किया जाता है!

भारत में संगठित व असंगठित पर नालियों में से बाजार संचालित होता है व्यक्ति से व्यक्ति के बीच शुरू होकर या टेलीफोन पर लेनदेन में परिवर्तित हो गया इसके बाद इंटरनेट व सूचना प्रौद्योगिकी के युग में यह ऑनलाइन हो गया बाजार में लेनदेन बिचौलियों के द्वारा या सीधे व्यापारिक पक्षों के बीच हो सकता है!

मुद्रा बाजार की आवश्यकता

किसी भी आर्थिक प्रणाली की जरूरी आवश्यकता आए हैं आधुनिक औद्योगिक अर्थव्यवस्था में उत्पादन संपत्ति का निर्माण आसान कार्य नहीं है क्योंकि इसके लिए दीर्घकालिक प्रकृति की निवेश योग्य पूंजी की आवश्यकता होती है दीर्घकालिक जी को कर्जा कॉरपोरेट बॉन्ड्स डिवेंचर अथवा शेयर के माध्यम से जुटाया जा सकता है लेकिन एक बार उत्पादक संपत्ति बन जाने और उत्पादन शुरू होने पर दूसरी तरह की पूंजी की आवश्यकता पड़ती है कार्यशील पूंजी की प्रतिदिन की कमी को पूरा करने के लिए इसका अर्थ है कि केवल कंपनियों की स्पना मात्र से उत्पादन की गारंटी नहीं होती है इन कंपनियों इन कंपनियों को प्रतिदिन उत्पादन प्रक्रिया में Cash मिसमैच का सामना करना पड़ता है!

भारत में मुद्रा बाजार

भारत में संगठित मुद्रा बाजार लगभग 3 दशक पुराना है हालांकि इसकी उपस्थिति पहले रही लेकिन वह सिर्फ सरकार तक ही सीमित थी चक्रवर्ती कमेटी 1985 में पहली बार देश में संगठित मुद्रा बाजार की आवश्यकता पर जोर दिया और वाधुल कॉमेडी 1987 ने इसके विकास का खाका तैयार किया आज भारत में मुद्रा बाजार एक एकीकृत इकाई नहीं है और यह दो भागों में असंगठित हुआ संगठित मुद्रा बाजार में बट गया है!

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