क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (Credit Default Swap) क्या है

क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (Credit Default Swap) क्या है

भारत में सीडीएस अक्टूबर 2011 से परिचालन में है जिसे केवल कॉरपरेट बॉन्ड में प्रारंभ किया गया था भागीदारों में वाणिज्यिक बैंक प्राथमिक डीलर एनबीएफसी बीमा कंपनियों और म्यूचुअल फंड सम्मिलित है!

क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप क्रेडिट डेलाइब्रेटिव लेनदेन है जिस में दो पक्षों के बीच समझौता करते हैं जहां एक पक्ष खरीददार और दूसरा पक्ष समझौते की निर्दिष्ट अवधि हेतु अधिक भुगतान करता है संरक्षित विक्रेता तब तक कोई भुगतान नहीं करता जब तक कि पूर्व निर्धारित संदर्भ परिसंपत्ति संबंधी कोई क्रेडिट घटना ना हो! यदि ऐसी घटना होती है तो संरक्षित विक्रेता के समायोजन को प्रवृत्त करता है जोगिन नगर या वास्तविक में कुछ भी हो सकता है इसका अर्थ यह है कि सीडीएस क्रेडिट डेलाइब्रेटिव है जिसका प्रयोग क्रेडिट जोखिम को जोखिम के संपर्क में निवेशक से जोखिम लेने के लिए इच्छुक निवेशक को अंतरिम किया जाता है!

सीडीएस को वित्तीय प्रणाली में विभिन्न प्रयोजन हेतु प्रयुक्त किया जा सकता है

  • सुरक्षा खरीदरी से अपने क्रेडिट संपर्क के बचाव के लिए प्रयोग कर सकता है जबकि सुरक्षा विक्रेता इसे परिसंपत्तियों के वास्तविक स्वामित्व के बिना क्रेडिट बाजार में भागीदारी के लिए प्रयोग कर सकता है
  • सुरक्षा खरीददार क्रेडिट जोखिम को किसी संपत कंपनी को अंतरी कर सकता है बिना इंस्ट्रूमेंट को अंतरित किए कंपू जी प्रभार के संदर्भ में नियमित लाभ का फायदा उठा सकता है क्रेडिट पोर्टफोलियो में विशिष्ट संकेंद्रण की कटौती मांग की सकता है और क्रेडिट जोखिम को कम कर सकता है
  • बैंक इसे अन्य जोखिम लेने वाले पर जोखिम अंतरित करने के लिए प्रयोग करते हैं अधिक ऋण देने हेतु पूंजी निर्माण के लिए प्रयोग करते हैं
  • जोखिम को पूर्ण प्रणाली में वितरित करते हैं और जोखिम को संघ केंद्रित होने से रोकते हैं
  • सुरक्षा विक्रेता को अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड करने किसी विशिष्ट क्रेडिट के संपर्क में आने अपने लाभ पोर्टफोलियो को बढ़ाने में मदद मिलेगी!

सीडीएस को सबसे घातक पहलू यह है कि एक देश क्षेत्र का क्रेडिट जोखिम दूसरे देश क्षेत्र को बड़ी आसानी से अंतरित हो जाता है इसीलिए केटेजिन प्रभाव के अवसर होते हैं!

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